जब पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है और उस बीच कोई आपको ये कहे, अरे तुम तो चीनी हो, ये जो 'कोरोना' है, तुम ही लाए हो क्या?... जब हमें अपने देश में ये शब्द सुनने को मिलते हैं, तो खून खौल जाता है।
बावजूद इसके, हमें कोई गिला नहीं। कह कौन रहा है, हमारे भाई ही तो हैं। कुछ शरारती लोग भी हो सकते हैं, जो कोरोना की आड़ में पूर्वोत्तर के लोगों को नस्लीय खाई में धकेलना चाह रहे हैं।
इंफाल वेस्ट के वांगोई वाहिंगबम लीकाई स्थित गैर सरकारी संगठन, केयर एंड शेयर फाउंडेशन के सचिव जीतेन थोईडिंगजम ने यह बात कही है। देश में जिस तरह से कोरोना को लेकर पूर्वोत्तर के लोगों पर नस्लीय टिप्पणी की गई है, वह दुखी करने वाली है। हम सब भारतीय हैं। ये जरूरी तो नहीं है कि सभी लोग देश के हर राज्य की जानकारी रखें।
वहां के लोगों की वेशभूषा कैसी है, सभी को इसका पता हो। पूर्वोत्तर के लोगों की शक्ल मंगोलियन लोगों की तरह है, तो हमें चीन का आदमी बता देते हैं। कोरोना का फोटो बनाकर उसकी तुलना हम लोगों से हो रही है। कहीं पर पूर्वोत्तर की लड़कियों के साथ अभद्रता हो रही है, तो कहीं यहां के लोगों को नौकरी से हटाया जा रहा है।
मेरा मानना है कि ये सही नहीं है। पुलिस अपना काम कर रही है। इसके लिए कई राज्यों में विशेष सेल और यूनिट बनाई गई हैं। वे ऐसी नस्लीय टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर रही हैं।
वहां के लोगों की वेशभूषा कैसी है, सभी को इसका पता हो। पूर्वोत्तर के लोगों की शक्ल मंगोलियन लोगों की तरह है, तो हमें चीन का आदमी बता देते हैं। कोरोना का फोटो बनाकर उसकी तुलना हम लोगों से हो रही है। कहीं पर पूर्वोत्तर की लड़कियों के साथ अभद्रता हो रही है, तो कहीं यहां के लोगों को नौकरी से हटाया जा रहा है।
मेरा मानना है कि ये सही नहीं है। पुलिस अपना काम कर रही है। इसके लिए कई राज्यों में विशेष सेल और यूनिट बनाई गई हैं। वे ऐसी नस्लीय टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर रही हैं।
थोईडिंगजम बताते हैं कि दूसरे राज्यों के लोगों को दरअसल पता ही नहीं है। वे यहां की संस्कृति, सभ्यता और पारंपरिक वेशभूषा के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। हालांकि ऐसी टिप्पणी करने वालों में वे लोग शामिल हैं, जो अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं। वे नशा करते हैं और किसी के बहकावे में आकर ऐसी हरकत कर बैठते हैं।
कोई भी सभ्य और पढ़ा लिखा इंसान ऐसा कभी नहीं करेगा। नागालैंड की एंबियोजेनिसस सोसायटी के संचालक मोआ सुबांग के अनुसार, हम भी इसी देश के लोग हैं, फर्क इतना है कि हम कुछ दूरी पर हैं। इसी के चलते हमारे कुछ भाई हमें नहीं जानते।
वे गलतफहमी में हमें 'कोरोना' बोलने लगते हैं। गृह मंत्रालय ने इस बाबत सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि पूर्वोत्तर के लोगों के साथ 'कोरोना' को जोड़कर कोई शरारत होती है तो अविलंब कार्रवाई की जाए।
कोई भी सभ्य और पढ़ा लिखा इंसान ऐसा कभी नहीं करेगा। नागालैंड की एंबियोजेनिसस सोसायटी के संचालक मोआ सुबांग के अनुसार, हम भी इसी देश के लोग हैं, फर्क इतना है कि हम कुछ दूरी पर हैं। इसी के चलते हमारे कुछ भाई हमें नहीं जानते।
वे गलतफहमी में हमें 'कोरोना' बोलने लगते हैं। गृह मंत्रालय ने इस बाबत सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि पूर्वोत्तर के लोगों के साथ 'कोरोना' को जोड़कर कोई शरारत होती है तो अविलंब कार्रवाई की जाए।
असम के एनजीओ इनर विजन के संचालक कमल कुमार नाथ बताते हैं कि यहां दिक्कत लोगों की आपसी समझ की है। पूर्वोत्तर की भाषा, खानपान और वेशभूषा अलग है। इसे दूसरे लोगों को समझना चाहिए। हम कोरोना नहीं हैं, आपके भाई हैं। इस बाबत हम अपने लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं कि वे ऐसी स्थिति में किसी का जवाब न दें।
स्थिति ज्यादा बिगड़ती है, तो पुलिस को शिकायत दें। कोई आपको 'कोरोना' बोलकर नौकरी से निकाल रहा तो उस बाबत जरूर बोलें।
स्थिति ज्यादा बिगड़ती है, तो पुलिस को शिकायत दें। कोई आपको 'कोरोना' बोलकर नौकरी से निकाल रहा तो उस बाबत जरूर बोलें।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल आयुक्त रोबिन हिब्बू का कहना है कि पूर्वोत्तर के लोगों के साथ कोई नस्लीय घटना न हो, इसके लिए सभी डीसीपी और एसएचओ को सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। हम सोशल मीडिया पर भी नजर रख रहे हैं। अगर कोई पुलिस को ऑनलाइन शिकायत देता है, तो उस पर भी त्वरित कार्रवाई होती है।
राइट एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के अनुसार, कोरोना के चलते पूर्वोत्तर के लोगों पर नस्लीय टिप्पणी करने के संबंध 23 केस दर्ज हुए हैं। इससे पहले मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपील की थी कि देश में जहां पर नॉर्थ ईस्ट के लोगों के साथ नस्लीयता की घटनाएं हुई हैं, वहां आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
जोरमथंगा ने 45 सेकेंड का एक ऐसा ही वीडियो ट्वीट किया था। पीएम और गृहमंत्री से अनुरोध करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, इस वीडियो को देखकर मैं काफी दुखी और हैरान हूं। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भी अपने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया था।
उन्होंने लिखा, कब ऐसे लोग कोलोनियल माइंडसेट से बाहर निकलेंगे। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा ने ट्विटर पर लिखा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संकट की घड़ी में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को परेशान किया जा रहा है।
राइट एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के अनुसार, कोरोना के चलते पूर्वोत्तर के लोगों पर नस्लीय टिप्पणी करने के संबंध 23 केस दर्ज हुए हैं। इससे पहले मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपील की थी कि देश में जहां पर नॉर्थ ईस्ट के लोगों के साथ नस्लीयता की घटनाएं हुई हैं, वहां आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
जोरमथंगा ने 45 सेकेंड का एक ऐसा ही वीडियो ट्वीट किया था। पीएम और गृहमंत्री से अनुरोध करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, इस वीडियो को देखकर मैं काफी दुखी और हैरान हूं। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भी अपने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया था।
उन्होंने लिखा, कब ऐसे लोग कोलोनियल माइंडसेट से बाहर निकलेंगे। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा ने ट्विटर पर लिखा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संकट की घड़ी में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को परेशान किया जा रहा है।